गुरुवार, 23 मार्च 2017

" प्यार की प्रकृति ........."


सूने आसमान पे चाँद,
उजले माथे पे बिंदिया,
चाँद पर तैरते बादल,
आँखों से रिसता काजल,
बुलबुल की आवाज़,
जल तरंग सी साज़,
रेशम रेशम सी हवा,
या अँगुलियों की थिरकन,
प्रकृति सा प्यार है ये
या प्यार की प्रकृति
आसमां ताकते ताकते
प्यार जमीं पर हो गया।

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